ट्यूबवेल पर कुंवारी लड़की की चूत
हैलो एडल्ट स्टोरीज के दोस्तो, पकड़ लो अपना लंड और डाल दो अपनी चूत में उंगली.. और निकाल लो पानी इस कहानी को पढ़ कर.
मेरा नाम अभय है.. मैं अभयपुर से हूँ. मैं जिगोलो हूँ. मैंने कई लड़कियों और भाभियों के साथ सेक्स किया है और उन्हें संतुष्ट भी किया है. साथ ही कभी भी उनकी जानकारी किसी को नहीं दी है.. इसी लिए मेरी साख बनी हुई है.
आज मैं आप सभी को अपनी एक मस्त चुदाई की घटना बताने जा रहा हूँ जिसमें मैंने उस काली रात में लाल चूत को चोदा और बहुत मज़े किए.
वैसे तो एडल्ट स्टोरीज पर यह मेरी पहली हिन्दी सेक्स स्टोरी है, लेकिन मैं फिर भी उम्मीद करता हूँ कि यह रोचकता और जोश से भरी कहानी आप सभी को जरूर पसंद आएगी.
बात आज से दो साल पहले की है.. जब एक रात को मैं अपने ट्यूबवेल पर लाईट आने का इंतजार कर रहा था और वहाँ पर में एक चारपाई पर लेटा हुआ था. मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी आँख लग गई.
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फिर कुछ देर के बाद करीब रात के 11 बजे मुझे अपने गाल पर कुछ हलचल सी महसूस हुई. मैं कुछ देर गहरी नींद में होने की वजह से उसे सिर्फ मेरा एक भ्रम समझकर चुपचाप लेटा रहा, मैंने कोई भी हलचल नहीं की.
लेकिन जब मेरी नींद खुली और फिर मैं एकदम से उठा और मैंने देखा कि मेरे सामने एक लड़की, जिसका नाम रवीना था.. वो बैठी हुई थी. रवीना हमारे गाँव की एक सबसे सुंदर लड़की थी, उसकी उम्र करीब 20 साल की होगी और उसके जिस्म का साईज़ 34-28-36 का होगा.
वो दिखने में एकदम हॉट सेक्सी माल था और उसे हमारे यहाँ के सभी लड़के चोदना चाहते थे, लेकिन वो ऐसे किसी को देखती भी नहीं थी जबकि अपने उस सेक्सी जिस्म को गाँव भर के लौड़ों को दिखाकर अपने-अपने लंड हिलाकर मुठ मारने पर जरूर मजबूर किया करती थी. उसके हुस्न के बहुत सारे दीवाने थे, जो उसे एक बार जरूर चोदना चाहते थे.
असल में वो उस समय वहाँ पर अपने बॉयफ्रेंड से मिलने आई थी, उनका आज रात को हमारे ट्यूबवेल पर मिलने का प्लान था क्योंकि यहाँ पर एक चारपाई हमेशा बाहर ही पड़ी रहती है.
जब मैं सो रहा था तो उस समय बहुत अँधेरा था और फिर रवीना ने मुझे सोता हुआ देखकर सोचा कि मैं उसका बॉयफ्रेंड हूँ और इसलिए उसने मुझे किस कर लिया. लेकिन उसी समय उसको पता चल गया कि मैं कोई और हूँ और अब वो एकदम से बहुत डर गई.
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मैंने उससे पूछा- तुम यहाँ पर क्या करने आई हो? तो वो मुझसे बिना कुछ कहे ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. मैंने उससे कहा- तुम मुझसे बिल्कुल भी मत डरो.
. मैं किसी से कुछ भी नहीं कहूँगा.
फिर उसने कुछ देर बाद बताया कि मैं यहाँ पर अजय से मिलने आई थी और उसने मुझे यहाँ पर मिलने बुलाया था. मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे बैठने को कहा.. पर वो तो अब भी ज़ोर-ज़ोर से वो रही थी.
अब मैंने उससे कहा- तुम बिल्कुल भी मत डरो.. मैं किसी को कुछ नहीं कहूँगा. वो अब मेरे पास बैठ गई. कुछ देर के बाद जब वो एकदम शांत हुई तो मैंने उससे पूछा- क्या तुम उससे पहले भी मिल चुकी हो?
उसने मुझे बताया- हाँ.. मैं उससे एक बार पहले भी यहाँ पर मिल चुकी हूँ, लेकिन चूमने-चाटने, बूब्स दबाने के अलावा उन्होंने मेरे साथ कुछ नहीं किया था क्योंकि उस दिन अजय का डर की वजह से खड़ा ही नहीं हुआ था. फिर मैंने उससे तुरंत कहा- क्या तुम मेरे साथ वो सब करना चाहोगी?
तो उसने मुझसे साफ मना कर दिया, लेकिन मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर और उसे बहुत देर तक समझाने पर वो अब ना जाने कैसे मान गई थी.
मैंने उसे अजय को फोन करने को कहा और उससे कहा- तुम उसको बोल दो कि मैं आज नहीं आ सकती. उसने वैसा ही किया.. जैसा मैंने उससे कहा था.
फिर मैंने उसके लाल-लाल होंठों पर अपने होंठ रख दिए और अब धीरे-धीरे चूसने लगा. वो भी कुछ देर बाद मेरा पूरा साथ देने लगी, मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया.. तो उसने भी मुझे अपनी बांहों में ले लिया.
दस बारह मिनट उसके होंठ चूसने के बाद मैं उसके कान, गाल और उस गदराए बदन पर किस करने लगा, वो मुझसे और भी चिपकती गई.
अब तो वो ‘आह्ह आईईई.. उफ्फ्फ..’ करने लगी थी और ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. मैंने एकदम सही मौका देखकर उसकी कमीज़ को उतार दिया. मैं उसके बूब्स को ब्रा में कैद बिल्कुल बाहर को निकलने को आतुर मेरे सामने देखकर पागल सा हो गया और मैं उन पर टूट पड़ा, उसके रसीले बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने, मसलने लगा.
वो भी अब जोश में पूरी तरह पागल हो रही थी.
तभी उसने अपनी ब्रा को ऊपर कर दिया और मेरा सर पकड़कर अपने बूब्स पर रख दिया तो मैं भी अब उस मस्ती में उसके वो रसीले व बड़े-बड़े बूब्स को चूसने, दबाने लगा.
अब मेरा लंड खड़ा होकर मेरी पैन्ट को फाड़ने को तैयार हो रहा था, मैंने बूब्स को दबाने के साथ उसका एक हाथ पकड़ा और जल्दी से अपने लंड पर रख दिया.
वो कुछ देर मेरे लंड की गर्मी को महसूस करने लगी, अगले कुछ पलों के बाद वो मेरे लौड़े को बहुत धीरे-धीरे सहलाने लगी.
मैं अब उसके वो रस भरे बूब्स को दबा-दबा कर चूस रहा था.
. और उसके निप्पलों को अपने होंठों से मींज रहा था. मेरा मुँह उसके एक बूब्स पर था जबकि हाथ उसके दूसरे बूब्स पर लगा था. मेरा दूसरा हाथ उसकी सलवार में उसकी पैन्टी के ऊपर था.
पैन्टी पर किस किया, लेकिन कुछ देर के बाद उसे भी उतार दिया.
फिर मैंने देखा कि उसकी चूत बिल्कुल साफ और थोड़ी उभरी हुई थी. शायद उसने आज ही अपनी चूत के बालों को साफ किया था. मैं उसकी उस प्यारी सी कामुक चूत को देखकर अब और भी जोश में आ गया, उसकी चूत के दाने पर अपनी जीभ फेरने लगा.
मेरी जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर होते ही वो तड़पने लगी और बिना पानी की मछली की तरह मचलने लगी. मैंने उसको 69 पोजीशन में ले लिया और उससे अपना लंड चूसने को कहा. उसने पहले तो साफ मना किया, लेकिन मेरे बहुत ज़ोर देने पर वो मेरे लंड को किस करने लगी और चाटने लगी.
इधर मैं उसकी वो गीली चूत चाटने, चूसने लगा और अपनी जीभ को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा. उसने भी अब तक मेरा लंड थोड़ा सा मुँह में ले लिया था और फिर उसको ऐसा करना शायद अब अच्छा लगा तो उसने लंड को पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी. इधर मैं उसकी चूत को जोश में आकर बहुत मस्त होकर चाट रहा था और चूस रहा था, कुछ देर चूसने के बाद उसका पूरा शरीर अचानक अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि इसकी चूत का पानी अब निकलने वाला है, मैं अब और भी ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा..
जल्दी ही उसकी चूत का वो नमकीन सा पानी मेरे मुँह में आने लगा.. तो मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर पूरी तरह से साफ कर दिया.
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कुछ ही पलों बाद वो मेरे सामने बिल्कुल निढाल होकर पड़ी हुई थी और मैं अब भी बस उसकी चूत को चाटे जा रहा था. वो अपने चूतड़ों को उठा-उठाकर मुझसे अपनी चूत चटवाकर एकदम साफ करवा रही थी.
फिर मैं कुछ देर बाद चूत को अच्छी तरह से साफ करके उठा और अब मैं उसके बूब्स को चूसने लगा.
मैं उनको बहुत ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा और मेरे कुछ देर तक ऐसा करने की वजह से वो एक बार फिर से गरम हो गई और फिर वो मुझसे बोली- प्लीज अब तुम्हें जो भी करना है करो.. लेकिन जल्दी करो. मैं अब और नहीं सह सकती. प्लीज मेरी चूत में जल्दी से अपना लंड डालकर मुझे चोदकर वो मज़ा दो जिसके लिए मैं अब तक बैचेन हूँ.
मैंने उसकी चुदास भरी बात सुनकर उसको जल्दी से नीचे लेटाया और अब मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया. मैंने अपना लंड एक हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के दाने के आस-पास फेरने लगा और थोड़ा सा सुपारा चूत की फांकों में फंसा कर अन्दर-बाहर करने लगा, जिसकी वजह से वो एकदम से तड़पने लगी.
अब वो मुझसे बोली- प्लीज अब डाल भी दो यार.
. क्यों मुझे इतना तरसा रहे हो?
मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो मेरा थोड़ा सा लंड उसकी चूत में चला गया और उसके मुँह से बहुत ज़ोर से ‘आईई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह.. मर गई मम्मी..’ की आवाज़ निकली और वो दर्द से छटपटाने लगी.
लेकिन मैंने उसके दर्द पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. मैंने जब दूसरा ज़ोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चीख-चीखकर रोने लगी.
मैंने उसके मुँह पर अपना एक हाथ रख दिया और अब दोबारा एक ज़ोर से झटका मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी तड़पती, मचलती हुई चूत में फिट हो गया और उसकी चूत से खून बाहर आने लगा.
मैं कुछ देर ऐसे ही रहा, लेकिन जब वो पूरी तरह से शांत हो गई तो मैं धीरे-धीरे झटके मारने लगा.
अब मैंने महसूस किया कि वो भी नीचे से झटके मारने लगी थी और वो ‘आहह्ह्ह.. मर गई मम्मी.. उह्ह.. थोड़ा और ज़ोर से करो.. हाँ और अन्दर डालो उफ्फ..’ करने लगी.
मैंने उसको उठाया और खड़ा करके उसके एक पैर को उस चारपाई पर रखकर चोदने लगा. वो मुझे अपनी बांहों में लेकर खुद भी झटके मारने लगी. कुछ समय खड़े-खड़े चुदाई करने के बाद में लेट गया और उसको अपने ऊपर आने को कहा.
वो अब मेरे लंड पर बैठकर ऊपर-नीचे होने लगी, ‘आईईईई.. मम्मी.. मर गई आहह.. उफ्फ्फ..’ वो सीत्कार करने लगी. वो इस बीच दो बार झड़ चुकी थी और अब मेरा भी काम पूरा होने वाला था.
मैंने एक बार फिर से उसको सीधा लेटा दिया और ऊपर से लंड उसकी चूत में डाल दिया और अब मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा.
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दो मिनट के धक्कों के बाद मैंने उससे पूछा- मैं अपना वीर्य कहाँ पर निकालूँ? उसने मुझसे कहा- आप मेरी चूत के अन्दर ही निकाल दो.. मैं उसको महसूस करना चाहती हूँ.
करीब 10-15 झटकों के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और मेरे साथ ही वो भी झड़ गई. अब मेरा और उसका पानी उसकी चूत से निकलकर उसकी गांड की दरार से होकर नीचे टपक रहा था. मैंने उसकी चूत को साफ किया और उसने मेरे लंड को साफ किया.
इतने में लाईट भी आ गई थी. मैंने मोटर चलाई और उसको साथ लेकर टंकी.. जिसमें मोटर का पानी गिरता है.. उसमें नहाने लगा.
अब मैं पानी के बीच में नहाते हुए उसके बूब्स को चूसने लगा. मुझे यह सब करने से बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसको टंकी की एक साइड पर बैठाया और मैंने एक बार फिर से लंड उसकी चूत में डाल दिया.
अब वो भी ‘आह.
. उहह.. मर गई.. आईई.. हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे..’ कर रही थी.
मैंने उसको फिर से टंकी के बीच में ही घोड़ी बना लिया और फिर पीछे से अपना लंड डाल दिया. जिसकी वजह से अब पानी उनकी चूत से एक इंच नीचे तक था और उसके बूब्स भी पानी में पूरी तरह डूबे हुए थे.
दस मिनट ऐसे ही चोदने के बाद हम एक बार फिर से उसी चारपाई पर आ गए, अब वो मेरे ऊपर बैठकर खुद अपनी चूत में मेरा लंड ले रही थी, मैं बस उसकी कमर को पकड़ कर उसको सहारा दे रहा था.
वो अब मेरे लंड पर लगातार उछल रही थी और मेरा लंड उसकी चूत की गहराईयों में जाकर उसकी बच्चेदानी को छू रहा था. उसको ऐसा करने में बहुत मज़ा आ रहा था. लेकिन कुछ समय के बाद मैंने उसको सीधा लेटा दिया और मैं उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा.
करीब दस मिनट धक्के देने के बाद हम दोनों एक बार फिर से एक साथ झड़ गए. वो अब तक कई बार झड़ चुकी थी और अब बहुत थक भी चुकी थी.
जब मैंने टाईम देखा तो उस समय रात के दो बज रहे थे. वो मुझसे बोली- मुझे अब अपने घर पर जाना है.
फिर हम दोनों एक बार और पानी के अन्दर गए और साथ-साथ नहाकर बाहर आए. उसने जल्दी से कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए.
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अब मैं उसको उसके घर पर छोड़ने चला गया. वैसे उसका घर पास ही था तो चलते समय रास्ते में उसने मेरा मोबाईल नंबर ले लिया. अपने घर के पास जाकर उसने मुझे किस किया और फिर चली गई.
उसके बाद भी अक्सर हम मिलते और चुदाई करते हैं. मैंने उसको बहुत बार चोदा और उसने मेरा हमेशा पूरा साथ दिया. मैंने उसके उस रात के बाद भी बहुत बार अपने खेत पर तो कभी अपने और कभी उसके घर पर चोदा.