नौकरानी ने चूत की सील तुडवाई
हैलो दोस्तो.. मेरा नाम विराट है और मैं पुणे का रहने वाला हूँ.
हमारे घर में एक नौकरानी है.. जिसका नाम रवीता है, रवीता को हमारे घर वाले गाँव से लाए थे, उसकी उम्र मेरे बराबर ही थी और हम दोनों एक साथ ही जवान हुए थे.
अब हम दोनों 20 साल के थे और रवीता का बदन भी अब एकदम खिल चुका था, उसकी चूचियाँ काफी बड़ी और चूतड़ एकदम मस्त हो गए थे.
मैं भी जवान हो चुका था और दोस्तों से चुदाई के बारे में काफी जान चुका था.. पर कभी किसी लड़की को चोदने का मौका नहीं मिला था.
रवीता हमेशा मेरे सामने रहती थी जिसके कारण मेरे मन में रवीता की चुदाई के ख्याल आने लगे. जब भी वो झाड़ू-पोंछा करती.. तो मैं चोरी-चोरी उसकी चूचियों को देखता था, हर रात रवीता के बारे में ही सोच सोच कर मुठ्ठ मारता था.
मैं हमेशा रवीता को चोदने के बारे में सोचता तो रहता था.. पर कभी न मौका मिला न हिम्मत हुई.
एक बार रवीता 3 महीनों के लिए अपने गाँव गई.. जब वो वापस आई तो पता चला कि उसकी शादी तय हो गई थी.
मैं तो रवीता को देख कर दंग ही रह गया, हमेशा सलवार-कमीज़ पहनने वाली रवीता अब साड़ी में थी, उसकी चूचियाँ पहले से ज्यादा बड़ी लग रही थीं. शायद कसे हुए ब्लाउज के कारण या फिर सच में बड़ी हो गई थी.
उसके चूतड़ पहले से ज्यादा मज़ेदार दिख रहे थे और रवीता की चाल के साथ उसकी बाल्टी बहुत मटकती थी.
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रवीता जब से वापस आई थी.. उसका मेरे प्रति नजरिया ही बदल गया था. अब वो मेरे आस-पास ज्यादा मंडराती थी. झाड़ू-पोंछा करने के समय कुछ ज्यादा ही चूचियाँ झलकाती थी.
मैं भी उसके मज़े ले रहा था.. पर मेरा लंड बहुत परेशान था.. उसे तो बस.. रवीता की बुर चाहिए थी.
मैं अब मौके की तलाश में रहने लगा. कुछ दिनों के बाद मेरे मम्मी-पापा को किसी रिश्तेदार की शादी में एक हफ्ते के लिए जाना था.
अब एक हफ्ते मैं और रवीता घर में अकेले रहने वाले थे.
हमारे घर वालों को हम पर कभी कोई शक नहीं था. उन्हें लगता था कि हम दोनों के बीच में ऐसा कुछ कभी नहीं हो सकता.. इसलिए वो निश्चिंत होकर शादी में चले गए.
जब मैं दोपहर को कॉलेज से वापस आया तो देखा की रवीता रसोई में थी, उसने केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहना हुआ था. उस दिन गर्मी भी बहुत ज्यादा थी और रवीता से गर्मी शायद बर्दाश्त नहीं हो रही थी.
रवीता की गोरी कमर और मस्त चूतड़ों को देख कर मेरा लंड झटके देने लगा.
मैं आगे वाले कमरे में जाकर बैठ गया और रवीता को खाना लाने को कहा.
जब रवीता खाना ले कर आई.. तो मैंने देखा कि उसने गहरे गले का ब्लाउज पहना हुआ है.. जिसमें से उसकी आधी चूचियाँ बाहर दिख रही थीं.
उसकी गोरी-गोरी चूचियों को देख कर मेरा लंड और भी कड़ा हो गया और मेरे पैंट में तम्बू बन गया.
मैं खाना खाने लगा और रवीता मेरे सामने सोफे पर बैठ गई, उसने अपना पेटीकोट कमर में खोंश रखा था.. जिससे उसकी चिकनी टाँगें घुटने तक दिख रही थीं.
खाना खाते हुए मेरी नज़र जब रवीता पर गई.. तो मेरे दिमाग सन्न रह गया. रवीता सोफे पर टाँगें फैला कर बैठी थी और उसका पेटीकोट जांघों तक उठा हुआ था. उसकी चिकनी जाँघों को देखकर मुझे लगा कि मैं पैंट में ही झड़ जाऊँगा.