चूत में अंकल का लंड फंस गया
दोस्तों मेरी उमर 18 साल की है यह कहानी मेरी चूत में मेरे अंकल के लंड फसने की है अंकल का काला मोटा लंड कैसे मेरी चूत में गुस कर फस गया यह जानने के लिये मेरी यह कहानी अंत तक जरुर पड़े|
मै अपने कजिन के साथ फॉर्म हाउस के स्वीमिंग पूल में स्वीमिंग कर रही थी| मेरे अंकल हमें स्वीमिंग सिखा रहे थे| वो सभी को बारी बारी से स्वीमिंग सिखा रहे थे| हम लड़कियों ने सलवार कमीज़ पहनी थी| मैंने तो मेरी ब्रा और पैंटी भी नही पहनी थी| क्युकी यहाँ स्वीमिंग का प्रोग्राम है ये मुझे मालूम नही था| और मुझे स्वीमिंग आती भी नही इसलिए इसके बारे में सोचा नही , मेरी कजिन लोगो को थोडी स्वीमिंग आती थी| इसलिए वो तैयार हो कर आई थी| अंकल सिर्फ़ एक अंडरवियर में थे| उन्होंने ऊपर कुछ नही पहना था|
मेरी मम्मी अपनी बहनों और दूसरी रिश्तेदार औरतों के साथ बैठी बातें कर रही थी| पापा भी उनकी उमर के मर्दों के साथ स्वीमिंग कर रहे थे, लेकिन वो बहुत दूर थे| मेरे राकेश भैया भाभी के साथ एक कोने में पानी में मस्ती कर रहे थे| पानी काफी ठंडा था| और गहरा भी था| हम जहाँ स्वीमिंग कर रहे थे वहां पानी हमारे गले तक था| गहरे नीले पूल में पानी भी नीला लग रहा था… अंकल ने मुझे पहले स्वीमिंग के बारे में बताया| उन्हें मालूम था की मुझे स्वीमिंग नही आती है| उन्होंने कहा वो मेरी मदद करेंगे और सिखा देंगे| उन्होंने मेरे पेट के नीचे एक हाथ लगाया और कहा हाथ और पैर की मदद ले कर उन्हें कैसे चलाना है| अंकल की उमर 26 साल की है और उनकी अभी शादी नही हुयी है|
अंकल मेरी दादी के साथ ही मुलुंड में रहते है| मै स्वीमिंग कर रही थी|| मैंने देखा की सब लोग अब अपनी बीवी के साथ पानी में मजा कर रहे है|| लेकिन वो सब दूर थे| अंकल बेचारे हमारे साथ ही रहे, क्युकी मेरे भैया जो उनसे छोटे है लेकिन शादीशुदा है , वो भी अपनी बीवी के साथ पानी में थे| मेरी मम्मी अंकल को बहुत चाहती है| क्युकी वो सबसे बड़ी भाभी है, अंकल भी मुझे बहुत चाहते है| अंकल ने मेरे पेट के नीचे हाथ रखा हुआ था| और मै स्वीमिंग के लिए हाथ पैर हिला रही थी|
अंकल ने अचानक हाथ हटा लिया मेरा संतुलन बिगड़ गया और मै पानी में गिरने लगी| मैंने हाथ बढ़ा कर अंकल को पकड़ना चाह|और गलती से मेरा हाथ अंकल के काला मोटा लंड पर लग गया|| मै घबरा गयी लेकिन अंकल ने कोई नोटिस नही लिया| अंकल ने फ़िर मुझे स्वीमिंग करने को कहा और मै फ़िर से स्वीमिंग करने लगी| अंकल ने अब एक हाथ मेरी चूंची के नीचे रखा और दूसरा मेरी चूत के पास रखा| मै गनगना गयी| मैंने अभी १७ साल पुरे किए थे और 18 वां लगा था|| मैंने ब्रा भी नही पहनी थी और ना ही सलवार के अन्दर चड्डी थी| कपडे गीले हो कर बदन से चिपक गए थे| मुझे ऐसा लगा की मै नंगी हूँ और अंकल का हाथ मेरी नंगी चूंची और चूत पर है| पहली बार किसी का हाथ मेरी चूंची और चूत पर पड़ा था| मुझे अंकल का हाथ का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था| मै स्वीमिंग की कोशिश कर रही थी| और अंकल का हाथ वहीं लगा हुआ था| थोडी देर बाद अंकल ने कहा | वो अब हाथ हटा रहे है|| और उन्होंने अचानक हाथ हटा लिया|| मेरा फ़िर से संतुलन बिगडा और मै डूबने लगी|| मैंने ख़ुद को सम्हालने के लिए हाथ बढाया और मेरा हाथ फ़िर से अंकल के काला मोटा लंड पर लगा|| शायद मैंने जानबूझ कर वहीँ हाथ लगाया था|| मैंने हाथ से महसूस किया की अंकल का काला मोटा लंड अब कड़क हो गया था|
मै अंकल के सामने गले तक पानी में खड़ी थी| और मैंने पारदर्शक पानी के अन्दर देखा अंकल का काला मोटा लंड अंडरवियर में एकदम टेंट जैसा खड़ा है| तभी मेरी एक कजिन ने कहा की अब उसे स्वीमिंग करना है|| तो मैंने कहा|| नही अभी मै थोडी देर और सीखूंगी| मै फ़िर स्वीमिंग करने लगी| अब मै जानबूझ कर बार बार गिरती थी और हर बार अंकल के काला मोटा लंड को ही हाथ लगाती थी| अंकल का काला मोटा लंड अब साफ़ नज़र आ रहा था|| एकदम कड़क और सीधा एक खंभे जैसा| मै एक बार डूबने लगी तो अंकल ने मुझे थाम लिया| मै खड़ी हो कर अंकल के सीने से चिपक गयी|अंकल का काला मोटा लंड मेरे पेट से टकरा रहा था| बहुत सख्त था| इस स्पर्श ने मुझे अन्दर से गरम कर दिया|
मैंने एक बार फ़िर स्वीमिंग की कोशिश की|और अब अंकल ने मुझे पानी पर सीधा करके ख़ुद को मेरी टांगों के बीच लाया| मेरी टांगों को अच्छे से फैला दिया| मेरे पैर उनके कमर के दोनों तरफ़ थे| और वो मेरे पीछे थे| उन्होंने मेरे पेट को पकड़ लिया|और कहा पहले हाथों से प्रक्टिस करो फ़िर पैरों से करना| मैंने अंकल को दोनों टांगों के बीच में कास कर पकड़ा और हाथों से प्रक्टिस करने लगी| अंकल का काला मोटा लंड मेरी चूत के ऊपर सता हुआ था| और मेरे हिलने से वो चूत पर रगड़ रहा था|| उफ़ मै बता नही सकती मुझे कैसा लग रहा था|| अंकल का काला मोटा लंड मेरी चूत के करीब था जो की बहुत ही लाजवाब लग रहा था|
अंकल के काला मोटा लंड को महसूस करके खुश हो रही थी और मेरी चूत ज्यादा से ज्यादा काला मोटा लंड से रगड़ रही थी| मै गरम हो रही थी| आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अंकल का काला मोटा लंड हिलता हुआ महसूस हो रहा था और ठंडे पानी में मै गरम हो रही थी| ये एहसास मुझे पहली बार हो रहा था| और ये एहसास जन्नत का मजा दे रहा था| मै स्वीमिंग क्या सीखती, मै तो चुदाई की आग में गरम हो रही थी|| सोच रही थी की सलवार फाड़ कर यही अंकल मेरी चूत में काला मोटा लंड डाल दे| मै थक गयी थी||साँस तेज हो गई थी|| मै अब खड़ी हो गई| अंकल का हाथ अब भी मेरे पेट और कमर पर था| मेरी पीठ अंकल के तरफ़ थी| खड़े होते ही मैंने उनका काला मोटा लंड मेरे चूतडों पर महसूस किया| मैंने हलके से अपने चूतड उनके काला मोटा लंड पर दबाया और फ़िर पलट गई| मैंने अंकल की आँखों में एक अलग ही चमक देखी| उनकी आँखों में अब एक नया इशारा था| और वो मेरी चूत और बदन को और ज्यादा महसूस करना चाहते थे|| उन्होंने पूंछा की क्या और प्रक्टिस करोगी || लेकिन ऐसा लगा उनका गला सूख रहा था और बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकल रही थी| अभी मै जवाब देने ही वाली थी की पापा और भैया ने आवाज़ दी और कहा “चलो लड़कियों अब रात होने वाली है| मै तो ये सुन कर मायूस हो गई|
मै सोच रही थी की इस बार मै उनके काला मोटा लंड का पूरा मजा लूँगी हो सके तो मै सलवार नीचे कर के उनकी चड्डी से काला मोटा लंड को बहार निकाल कर अपनी चूत में लगा कर देखूंगी| लेकिन मजबूरी में जन ही पड़ा|लेकिन अंकल ने कहा वो थोडी देर बाद आयेंगे| मै समझ गयी के वोह खड़े काला मोटा लंड के साथ बहार नही निकल सकते उसके थोड़ा ढीला होने के बाद ही बाहर आयेंगे| हम लोग फॉर्म हाउस के हॉल में आ गए| थोडी देर बाद अंकल भी आ गए| लेकिन वो बहुत चुप चुप थे|हॉल में भैया और अंकल ने हाफ पंट पहनी हुयी थी| अंकल और पापा सभी ने पायजामा पहना हुआ था|मम्मी और भाभी वगैरह खाना लगा रही थी| मै बार बार अंकल की तरफ़ देख रही थी|वो भी मेरी ही तरफ़ देख रहे थे| मेरे अन्दर आग लगी हुयी थी| जब मै दूसरी सलवार कमीज़ पहनने के लिए बाथरूम में गई तो मैंने देखा मेरी चूत से कुछ लसलसा पानी निकल रहा है|
मेरी चूत में अभी भी अंकल के काला मोटा लंड और हाथों की गर्मी महसूस हो रही थी|कुछ देर के बाद सब लोग खाना खा रहे थे| मुझे खाना अच्छा नही लग रहा था| मेरे अन्दर एक आग लगी हुयी थी|जो कम होने की जगह बढ़ रही थी| | दूसरी तरफ़ अंकल भी एकदम चुप चुप थे| शायद वो भी वही सोच रहे होंगे जो मै सोच रही थी|अंकल का कद करीब 5feet 7 इंच था, वो और भइया एक ही कद काठी के थे||दोनों ही जिम जाते थे|इसीलिए दोनों में बहुत दोस्ती भी थी| मेरी कजिन मुझ से बातें कर रही थी| लेकिन मुझे उसकी बातों में कोई दिलचस्पी नही थी|मै अपने बारे में सोच रही थी|
मेरी चूचिया 34 साइज़ की है| एकदम ठोस| निपल गुलाबी और छोटे है| चूत उभरी हुयी|| पुत्तियाँ चिपकी और चूत एकदम गुलाबी है| हलके हलके भूरे बाल है| एकदम नरम| जिन्हें मैंने छोटे किए हुए है|क्युकी माहवारी के वक्त पैड लेने के लिए जरुरी है|मेरी कमर एकदम पतली २६ की है और गांड भी ३४ की है| मेरी आँखे भूरी और मेरा रंग बहुत गोरा है| सिर के बाल लंबे और सिल्की है| कैसे अंकल मुझे चोदेंगे|| उनका वो मोटा और लंबा काला मोटा लंड कैसे डालेंगे| तभी सबका खाना ख़तम हो गया| खाने के बाद सबने काफ़ी का मजा लिया| थोडी गपशप की |रात के 11 बज रहे थे|तब पापा ने कहा अब सो जाओ क्युकी सुबह नाश्ता करके वापिस जाना है हॉल में कारपेट पर ही बेड लगाया सबका| मेरा बेड दीवार के पास खिड़की के नीचे लगाया| मै वहीँ लेट गयी| सभी मर्दों के बिस्तर एक साथ लगाये गए| और उनके पैरों के तरफ़ थोडी दूरी पर सब औरतों के बेड लगाए गए| मैंने देखा की अंकल का बेड मेरी खिड़की के बाद एक खिड़की छोड़ कर लगाया गया है|उनके बराबर थोडी दूर पापा का बेड था| हम सब के लेटने के बाद हॉल की लाईट बंद कर दी गई| मेरे खिड़की से चाँदनी की रौशनी अन्दर आ रही थी| और उस खिड़की के नीचे रात की रानी की खुशबू मुझे और मदहोश कर रही थी |
मै आज शाम के एक एक पल को याद कर रही थी| मैंने अपने हाथ मेरी कमीज़ के अन्दर अपनी चूची पर रखा तो मेरी चूचियां अभी भी खुशी में तनी हुई थी| छोटे निपल कड़क थे| मैंने दुसरे हाथ को सलवार के अन्दर डाला और चूत को छुआ, ओह्ह वो अब भी गीली थी| मैंने अपनी चूत के ऊपर हाथ रखा और सहलाया|| उईई | बहुत मज़ा आया…चूत से पानी बह रहा था|| मैंने सोने की बहुत कोशिश की| लेकिन मुझ से किसीभी करवट लेता नही जा रहा था|मै सिर्फ़ करवट बदल रही थी| मुझे अपने ऊपर आश्चर्य हो रहा था| मै तो बिस्तर पर गिरते ही सोने की आदि हूँ| आज नींद क्यों नही आ रही|? हाल में अब खर्राटों की आवाज़ आने लगी| सभी थक गए थे| सब गहरी नीद में थे| मै अंकल के बारे में सोच रही थी|
अब सब कुछ मेरी बर्दाश्त के बाहर हो गया|मै जानती थी की अंकल मेरे लिए ही सपना देख रहे होंगे| आज जो कुछ हुआ वो मेरे लिए अजीब था और मजेदार भी| मेरी 18 साल की कुंवारी चूत मचल रही थी| मैंने अपने ऊपर से चादर हटा दी और कमीज़ को निकाल के ऊपर का जिस्म नंगा कर लिया|फ़िर सलवार भी निकाल दी अब मै पूरी नंगी थी||मै अपने जिस्म को सहलाने लगी| हलकी चाँदनी में कुछ नही नज़र आ रहा था|अपनी उँगलियों से चूत को छुआ मुझे मज़ा आने लगा मेरे चूत से गरम भाफ निकाल रही थी| और लगा जैसे मेरा बदन पिघल रहा हो| चैन नही आ रहा था| और समझ में नही आ रहा था कि क्या करुँ बस दिल कर रहा था कि अंकल मेरे पास आ जायें और मेरे साथ लेट जाएँ|
ये सोचते ही मेरे मन में ख्याल आया कि क्यूँ न मै ही अंकल के पास चली जाऊं| फ़िर सोचा कि कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए| आप यह कहानी adultstories.co.in पर पढ़ रहे है | मेरे जिस्म में और खास कर चूत में तो आग लगी थी| आराम नही मिल रहा था| मै अपने हाथों से अपनी चूंची और चूत को सहला रही थी| लेकिन मेरे इस तरह सहलाने से आग और भड़क रही थी| मैंने चारों तरफ़ देखा , सब गहरी नीद में थे| मै धीरे से उठ कर खड़ी हुई| मै पूरी नंगी थी| अंधेरे में कुछ नही दिख रहा था| चाँदनी भी गायब थी बादलों कि वजह से| अंकल जिस खिड़की के पास थे वहां पर परदा था इसलिए वहां और भी अँधेरा था| उनका बिस्तर मुश्किल से नज़र आ रहा था| मैंने अब मन में सोचा कि आज मैंने नही चुदवाया तो फ़िर ये मौका शायद कब मिले कुछ पता नही| लेकिन डर भी लग रहा था| लेकिन फ़िर भी मन को समझा कर मै आहिस्ता आहिस्ता अंकल के बिस्तर के तरफ़ बढ़ रही थी|| एकदम धीमे धीमे|
एक खिड़की छोड़ी और दूसरी खिड़की के पास के बेड पर पहुँची||मै नंगी ही थी| मैंने उस बिस्तर को देखा और अंकल के बाजू में लेट गई| अंकल ने चादर ओढ़ राखी थी| वो सो रहे थे| मुझे गुस्सा आया|| मेरे अन्दर आग लगा कर कैसे आराम से सो रहे है| उनके सांसो कि आवाज़ मै महसूस कर रही थी| मैंने आहिस्ता से उनकी चादर उठाई और उसमे घुस गई| अंकल का बदन गरम था|| मेरे बदन पर भी वो महसूस किया| अंकल गहरी नीद में सीधे लेटे मैंने अपना हाथ अंकल के हाफपंट के ऊपर से उनके काला मोटा लंड पर रखा| वो भी अंकल कि तरह सोया हुआ था|मै करवट होकर उनके
और करीब आ गई| और अपने हाथ उनके सीने पर रखा और उनके बालों से भरे सीने को सहलाने लगी| उँगलियों से बालों से खेलने लगी अब मैंने अपना हाथ बढाया और उनके ढीले पंट के अन्दर साइड से डाला और लंड को पकड़ा| उन्होंने अंडरवियर नही पहना था| उनका लंड ऐसा लग रहा था जैसे कि ठंडा एक गोश्त हो| मैंने अपने हाथ कि उँगलियों से उनके लंड को सहलाना शुरू किया| थोडी देर में उनके लंड में हरकत होने लगी| और वो बड़ा होने लगा| मेरी उँगलियाँ उनके लंड को जगा रही थी| और लंड भी धीरे धीरे जागने लगा था| ना जाने क्यों अचानक अंकल ने करवट बदली और उनका चेहरा मेरी तरफ़ हो गया|
मैंने हाथ निकाला नही| मै लंड को सहलाते रही| मेरे होंठ उनके होंठो के करीब हो गए थे| और मेरी नंगी चुन्चिया उनके बालों भरे सीने से टकरा रहे थे| मैंने उनके होंठ से अपने होंठ चिपका दिए| और लंड को जो कि अब आधे से ज्यादा सख्त हो गया था, मै सहलाती रही| उनका लंड काफी लंबा और मोटा हो गया था| मगर अब भी वो लेटे रहे| मैंने अंकल के होंठो को अपने होंठो में ले लिया| उनके होंठो को चूसा तो ऐसा लगा कि मेरे होंठो में कोई मीठी और गरम सी चीज़ आ गई हो|
उके होंठो को चूसने से मेरा जिस्म और भड़क उठा| अंकल का लंड अब तेज़ी से कड़क हो रहा था| आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | और अब वो मेरे हाथ से ज्यादा मोटा होने लगा था| मैंने दोनों हाथों से लंड को पकड़ा| मेरे हाथों ने पहली बार किसी लंड को इस तरह महसूस किया अपने हाथों में| लंड इतना मोटा हो गया कि मेरी हथेली में नही समां रहा था| और लंबा इतना कि मेरे दोनों हाथों से ज्यादा|| करीब 8 इंच | अंकल के लंड कि गर्मी से मेरी हथेली गीली हो रही थी| और लंड कि नसें फूलती जा रही थी| मैंने सोचा काश इस सलोने मोटे लंड को मै देख सकती जो मेरी चूत में आज घुसेगा| |मै उनके होंठ चूस रही थी| अचानक अंकल कि सांसो कि रफ्तार में बदलाव आया| अब वो जाग चुके थे| लेकिन मै डर नही रही थी, एकदम नोर्मल थी, मुझे यकीन था कि उनके लंड को स्वीमिंग पूल में मेरी चूत कि गर्मी जरुर महसूस हुयी है|| पहले तो वो मुझे धकेलने लगे फ़िर उन्हें महसूस हुआ की मै पूरी नंगी हूँ|
मेरी चिकनी और पतली कमर पर उन्होंने हाथ फेरा फ़िर हाथ को नीचे ले गए और मेरी चिकनी गोल गोल जाँघों पर सहलाया और उसके बाद उन्होंने मुझे अपने करीब खींच लिया| उनके हाथों ने मेरे जिस्म को नीचे तक टटोला| मेरा तो पूरा बदन ही नंगा और गरम था| उनका लंड और सख्त हो गया| कुछ देर ऐसे ही सहलाने के बाद उन्होंने मुझे अपनी बांहों में समेट लिया|अंकल मुझे प्यार कर रहे थे| अपने हाथों से मेरे नरम बदन को सहला रहे थे, दबा रहे थे| उनके सीने से लग कर मै ख़ुद को खुशनसीब समझ रही थी| मेरा काम ख़तम हुआ अब उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया था| अंकल के बाजू में पापा के खर्राटों की आवाज़ आ रही थी| मैंने हाथ बढ़ा कर अंकल को गले लगा लिया और बहुत ज़ोर से उनसे लिपट गई| मेरी चूंचियां उनके बालों भरे सीने में दबने लगी|
उसे अंकल ने हाथों से दबाया और अंकल ने नीचे हाथ ले जा कर अपनी हाफ पंट निकाल दी , शर्ट तो थी नही| | अंकल का लंड मेरे चूत पर था और मेरे जाँघों के अन्दर आने की कोशिश कर रहा था| मैंने अपने ऊपर वाली जांघ थोडी खोल कर ऊपर की और अंकल का लंड अन्दर आ गया|उस गरम और सख्त लंड को अन्दर पाया तो मैंने उसे फ़िर से अपनी जाँघों के बीचे में दबा लिया| लोहे जैसा सख्त लंड मेरे जांघों को पार करता हुआ पीछे से बाहर झांक रहा था और उसकी रगड़ मेरी नरम चूत पर लग रही थी| अंकल मेरे होंठो को गालों को, मेरी निपल को और चुन्चियों को प्यार कर रहे थे और उनका लंड मेरी चूत को चूम रहा था| जिसे मेरे चूत ने भी चुमते हुए अपने पानी से गीला और चिकना कर दिया था| लंड बहुत बदमाश था| वो मेरी चूत के दाने को मसल रहा था|| जिससे चूत और गरम हो रही थी| अंकल मुझे सहलाते हुए प्यार कर रहे थे और मेरे पेट में एक आग का गोला उठ रहा था| मै अंकल को चुमते हुए पागल हो रही थी| मैंने उनके मुंह में अपनी नाज़ुक जुबां डाल दी| वो चूसने लगे|
अंकल ने मुझे अपनी बांहों में जकडा हुआ था और मै एक नाज़ुक कुंवारी लड़की उनके सीने से लगी मचल रही थी| उन्होंने मेरी जुबान चूसते हुए अपनी जुबान मेरे मुंह में ठेल दी और यंका एक हाथ मेरी चूंची पर आ गया| मै सिसकार उठी| मुझे स्वीमिंग करते हुए उनके हाथ की गरमी फ़िर महसूस हुयी|| वो मेरे निपल को उँगलियों में लेते हुए उसे मसलने लगे| मेरी चूंची फूलने लगी| निपल सख्त हो गए| अंकल ने मुझे सीधा लिटा दिया| और बारी बारी से मेरी दोनों चूंचियों को दबाने लगे| फ़िर वो थोड़ा नीचे झुके और…म्||म्|म्|म्|| स्|स्|स्|स् की आवाज़ मेरे मुंह से निकली| उन्होंने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया| मै समझ गई की आवाज़ होने से कोई भी जाग सकता है|| और फ़िर|| दोनों के लिए मुसीबत हो जायेगी… अब अंकल ने मेरी टांगों को फैलाया और घुटने से मोड़ दिया| फ़िर वो मेरी टांगों के बीच आ गए|| पूरे हाल में खामोशी और अँधेरा था| बादलों ने चाँद को ढँक दिया था|| इसलिए कुछ भी नही दिख रहा था| सिर्फ़ पापा, भैया और भी कुछ लोगों के खर्राटे की आवाज़ आ रही थी|| इधर अंकल ने मेरी चूत पर पहले हाथ रखा||उसे सहलाया|| फ़िर अपनी एक ऊँगली डाली|| मै सिसिया गई|| थोड़ा दर्द भी हुआ| मैंने अपने होंठ दांतों से दबा रखे थे| मेरी चूत बहुत गीली थी|| अंकल ने अपना लंड मेरी चूत के ऊपर रखा| एकदम गीली चूत||उन्होंने लंड मेरी चूत में डालने के लिए थोड़ा दबाया||लंड फिसल गया| उन्होंने मेरी चूत को दुसरे हाथ से थोड़ा खोला फ़िर चूत का सूराख देख कर उस पर लंड का सुपाड़ा रखा|| ओह्ह|| एकदम गरम और सख्त|| उसकी मोटाई से मै कांप गई| अब वो काफी मोटा हो चुका था| अब उनके लंड का तपता हुआ सुपाड़ा मेरी चूत के ऊपर था| मेरी चूत को सुपाडे का स्पर्श एक नई लज्जत दे रहा था|
अन्दर चींटियाँ रेंगने लगी थी…उन्होंने इस बार थोडी ताकत से लंड को दबाया और लंड मेरी चूत के दरवाजे को फैलता हुआ अन्दर दाखिल हुआ|| जैसे ही वो अन्दर घुसा मै तो दर्द से बिलबिला गयी|| ऐसा लगा किसी पैने चाकू से चूत को चीर दिया हो| लंड धीरे धीरे अन्दर आ रहा था| चूत फ़ैल रही थी|| और मै दर्द से छटपटा रही थी| अंकल ने मेरा मुंह दबा रखा था| मै उन्हें धकेल रही थी|| लेकिन अब वो कहाँ सुनने वाले थे| चूत में जा कर कोई लंड उसे बिना चोदे बाहर नही आता| चूत में अंकल का लंड फंस गया था| अब वो अन्दर नही जा रहा था| उन्होंने उसे थोड़ा पीछे खिंचा और फ़िर ताकत से दबाया|| और मैंने मेरे मुंह में चादर पूरी भर ली ताकि मेरी चीख ना निकले|
अंकल को पता भी नही चला की मेरी क्या हालत हो रही है… मुझे लगा मेरी जान अब निकल जायेगी||आंखों से आंसू निकल कर गाल पर बहने लगे||लेकिन मै चुदवाने के लिए मरी जा रही थी… लेकिन इस दर्द से छटपटाते हुए एक बार ऐसा लगा की उठ कर भाग जाऊं… फ़िर सोचा की चुदवाने का और चुदाई का ऐसा मौका शायद फ़िर कभी न मिले| तभी अंकल का लंड और अन्दर आया और मै तो बेहोश जैसी हो गई| कुछ सेकंड के लिए लगा मेरी जान निकल चुकी है… मै बर्दाश्त नही कर पायी और … मर ग|ई ई||ई||ई|| की चीख मेरे हलक से निकल गई| अंकल ने जल्दी से मेरे मुंह पर हाथ रखा| |और वो मेरे ऊपर लेट गए|| मुझे चूमने लगे|| उन्होंने मेरे होंठो को चूमना चाह लेकिन मेरे मुंह में चादर भरी थी|| उन्होंने मेरी आँखों पर हाथ रखा तो आंसू देखे||अब उन्हें पता चला की उनके मूसल जैसे मोटे लंड ने मेरी चूत की क्या हालत कर दी थी| उन्होंने अहिस्ता से चादर निकाली और मेरे होंठ चूसे फ़िर मेरे आँखों को चूमते हुए मेरे आंसू पीने लगे|
मेरी चूचियों को सहलाते हुए चाटने लगे| मै नीचे दबी हुयी थी|| लेकिन ये तकलीफ चूत के दर्द से कम थी| उनके वजन का मुझे उतना पता नही चल रहा था|आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरी चूत में जलन हो रही थी| अब अंकल ने बहुत आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया बहुत ही धीरे| धीरे|| इतने दर्द के बावजूद मैंने उन्हें अपनी बांहों में लिपटा रखा था कस के| उनके धक्के अब गहरे होने लगे|| मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उनके लंड ने मेरी चूत के टुकड़े टुकड़े कर दिए है|| मिर्ची भर दी मेरी चूत में|| अंकल ने अपने होंठ मेरे होंठो पर रखे हुए थे|| जिससे मेरी चीख बाहर न निकले| मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी|मेरी गुलाबी नाज़ुक कुंवारी चूत उनके लंड के करारे धक्के ले रही थी|| लंड एकदम चूत की दीवार को रगड़ता हुआ अन्दर बाहर हो रहा था|| लंड ऐसे अन्दर जा रहा था जैसे कोई साँप अपने बिल के अन्दर जा रहा है| एक जगह पर आ कर उनका लंड रुक गया|
मै महसूस कर रही थी की अन्दर एक परदा है जिसने उनके लंड को राका है| ये मै जानती थी की कुंवारी लड़कियों की चूत में अक्सर एक परदा होता है अंकल का लंड रुका हुआ था| और ना मालूम कितना बाहर है और कितना अन्दर जाने को बेताब है| अंकल ने मेरी गर्दन के नीचे हाथ रख कर मुझे और जोर से अपने से चिपका लिया और मेरे होंठो को अपने मुंह में ले लिया| फ़िर अंकल इसी तरह से मेरे ऊपर से थोड़ा ऊपर हुए उनका पेट ऊपर उठा लंड को थोड़ा बाहर निकला और फ़िर उन्होंने मेरी गर्दन को खूब जोर से भींचा और फ़िर उन्होंने बहुत ही भयानक तरीके से एक झटका दिया| और मेरी चूत के परदे को छिन्न भिन्न करता हुआ अन्दर दाखिल हो गया| दर्द से मेरी ऑंखें बाहर निकल पड़ी|| मेरे मुंह से गों||गों||गों|| की चीख निकली लेकिन मेरा मुंह उन्होंने अपने मुंह से बंद कर रखा था| |मुझे लगा मेरी चूत में जैसे बम का विस्फोट हो गया हो| मेरी आँखों के सामने तारे चमक गए|| पूरा हॉल जैसे उजाले से भर गया था||मेरा बदन जोर जोर से कांपने लगा था| अंकल का पूरा लंड अन्दर जा चुका था|| वो मेरे ऊपर लेट गए|
मै रो रही थी और दोनों हाथों से अंकल को धकेल रही थी| लेकिन कहाँ मै एक दुबली पतली सिर्फ़ 45 kg वजन की लड़की और कहाँ मेरे हट्टे कट्टे अंकल| मुझे सिर्फ़ चूत में दर्द नही था| बल्कि मेरा पूरा बदन दुखने लगा था| मैंने अंकल को अपनी बांहों से जकड लिया| और अपने होंठो को अंकल के होंठो से से छुडाया और अपने दर्द का बदला लेने के लिए अंकल के दाहिने कंधे पर जो की मेरे होंठो के करीब था ,जोर से अपने दांत गडा दिए|| मुझमे जितनी ताकत थी| मै उनके कंधे को ज़ोर से काट रही थी| | मुझे अंकल के कंधे से नमकीन खून निकलता महसूस हुआ| अंकल की भी दर्द के मारे सिसकियाँ निकल पड़ी| और इसी दौरान मुझे मेरी चूत से कुछ गरम गरम निकलता हुआ महसूस हुआ| यकीनन ये मेरी कुंवारी चूत से निकलता हुआ खून था|जो की बाहर बहने लगा था अंकल उस दर्द में भी मेरी चूचियों को चूस रहे थे और मै उनके कंधे को काट रही थी| अब मेरा दर्द कुछ कम होने लगा था| मैंने अंकल के होंठो पर अपने होंठ रख दिए| और चूसने लगी| दर्द की कमी के बाद मेरी चूत में घुसा हुआ अंकल का मोटा लंड अब अच्छा लग रहा था|
अंकल ने मुझे प्यार करता हुआ पाया तो उन्हें लगा की मेरा दर्द कम हो गया है और तसल्ली भी हुयी वो भी मुझे प्यार करने लगे| मै उनके लंड के बारे में सोच रही थी की कितना बड़ा होगा और न जाने कितना मोटा काश मै उसे चूत में जाते हुए देख सकती| अब अंकल ने आहिस्ता आहिस्ता लंड को बाहर निकाल कर अन्दर डालना शुरू कर दिया|| अंकल का वो खौफनाक लंड दर्द की मंजिल तय कर चुका था| मुझे अब एक अलग ही मजा आने लगा था| मेरी चूत भूल गई की इसी लंड ने उसे लहू लुहान किया है| वो उसे लेने के लिए तड़पने लगी| मेरे बदन में एक अलग ही लज्जत पैदा हो रही थी|| |अभी मै इस लज्जत को महसूस ही कर रही थी की बाजु में लेते पापा ने करवट बदली और पापा का हाथ मेरे सीने पर आ गया| मेरे पापा का हाथ उनकी चुदवाती हुयी बेटी के चूंचियों पर|| मै मुस्कुरा दी| लेकिन वो खर्राटे ले रहे थे| मैंने उनका हाथ धीरे से सीने पर से हटा दिया और अंकल के लंड की तरफ़ ध्यान देने लगी| अंकल का लंड अन्दर बाहर हो रहा था| मुझे मीठा मीठा दर्द हो रहा था| लेकिन मज़ा ज्यादा आ रहा था|
मै अंकल को प्यार कर रही थी और वो मेरी चूचियों के निपल चूस रहे थे| कभी मेरे होंठो को चूसने लगते| मैंने अंकल को अपनी बांहों में जकड रखा था|अंकल के लंड के धक्कों में अब तेज़ी आ रही थी अंकल के लंड के धक्को के साथ मै भी अपनी चूत में उसे ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी|चरों तरफ़ खामोशी थी|| रात रानी की खुशबु ने पूरे हॉल को महका दिया था, मैंने अंकल के गालों को प्यार किया फ़िर उनके मुंह में अपनी जीभ डाल दी|उन्होंने मेरी जुबान को चुसना शुरू किया और मेरी चूत में जैसे आग भड़क उठी|| अंकल के चोदने की रफ़्तार तेज हो गई| और तेज||और तेज|| मैंने अपनी दोनों टांगों को पूरा फैला दिया|और उनकी कमर को जकड लिया|आप यह कहानी adultstories.co.in पर पढ़ रहे है | अब दर्द नही था| दोनों ने रफ़्तार पकड़ ली थी| अंकल ने एक बार फ़िर मुझे कस के जकड लिया और उनके लंड की रफ़्तार बहुत तेज़ हो गई||मेरी चूत भी अब पागल हो रही थी|| अंकल के लंड के रफ़्तार के साथ ही उनके चुम्बन भी उतने ही जोरदार हो रहे थे|| अब मेरी चूत ने कस के लंड को जकड लिया और ऐसा लगा की मेरी चूत से कुछ बाहर निकल गया|| मै उनसे चिपक गई| अंकल का लंड अब पूरा बाहर निकल कर अन्दर जा रहा था|
मुझे कस के पकड़ा मेरे होंठो को चूसते हुए पूरा लंड मेरी चूत की गहरायी में ठांस कर झटके मारने लगे| लंड और फूल गया और इनके लंड से अचानक पिचकारी निकल पड़ी| मेरी चूत पूरी भर गई||मेरी चूत ने भी फ़िर से झटके मारे और ,मेरी चूत को एक बदलाव का एहसास हुआ| और वो निहाल हो गई| अन्दर से एक सैलाब बहने लगा और पूरे बदन में एक सुकून सा महसूस हुआ| पूरा बदन हल्का लग रहा था| हम दोनों एक दुसरे को चूम रहे थे अंकल का लंड अभी भी मेरे अन्दर लावा टपका रहा था|और वो मेरी चूत से बहता हुआ नीचे गांड तक आ रहा था| साथ में मेरी चूत का पानी भी था|अंकल मेरे ऊपर लेटे हुए प्यार कर रहे थे| मैंने मेरे ऊपर लेटे अंकल की कमर पर मैंने 3 बार A A लिखा वो थोडी देर मेरे लिखने पर रुके और फ़िर प्यार करने लगे| अंकल का लंड अब ढीला हो गया था||उन्होंने जैसे ही उसे बाहर निकला मुझे लगा मेरी चूत पोकल हो गई है|| एकदम खाली|| और चूत से अंकल का और मेरा माल बाहर निकलने लगा| साथ में खून भी|अंकल मेरे बाजू में लेट गए|| अंकल के मुकाबले मैंने उन्हें बहुत किस किया और काफी देर तक उनसे लिपटी रही|मैंने एक बार फ़िर से अंकल के सीने पर ऊँगली से AA लिखा| चूँकि मेरा नाम काम्या है| मैंने देखा की बाहर सुबह की रौशनी होने वाली है|
मैंने अंकल के होंठो पर उस रात का आखरी किस किया और धीरे से उठ कर अपने बेड पर अपने गई|| उठते हुए मुझे महसूस हुआ की अंकल ने किस कदर बेदर्दी से मुझे चोदा| अंकल को मालूम भी नही पड़ा की किसको उन्होंने चोदा| क्यूकि वहां मेरी और दो कजिन थी जो मेरी ही हम उमर थी| और उनका बदन भी मेरे जैसा ही था||हॉल में मौजूद किस लड़की की जवानी को अपने लंड से लूटा ये उन्हें भी नही मालूम था| मै अपने बेड पर नंगी लेटी हुयी इस हसीं चुदायी के यादों से खुश हो रही थी| मेरी चूत सूज गई थी और बहुत टीस हो रही थी| दर्द भी था हल्का हल्का| मगर जो मजा मिला था उसके सामने ये दर्द बहुत कम था| मैंने लेटे हुए अपने कपडे पहने और चादर ओढ़ कर नीद के आगोश में चली गई| हॉल में लोगो का शोरगुल सुन कर मेरी नीद खुली|| मै भी उठ कर बैठ गयी|अंकल पापा और दुसरे लोगो के साथ ब्रेक फास्ट की तय्यारी कर रहे थे|
जबकि भैया सबको जगा रहे थे| सबने अपना समान बाँध लिया| नाश्ते के बाद वापसी का सफर करना था| | मै बाथरूम से बाहर आ कर अंकल के बाजू में बैठ गई अंकल ने पूंछा की रात कैसी गुजरी मैंने कहा की जबरदस्त| ये सुनकर सभी मुस्कुराने लगे|भाभी ने पूंछा स्वीमिंग सीख ली मैंने कहा बहुत कुछ सीख लिया स्वीमिंग के साथ| |हम लोग घर पहुँच गए अंकल हमें छोड़ कर अपने घर चले गए|| उन्हें जाते हुए देख कर मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें शुक्रिया कहा| और वो मुस्कुराते हुए चले गए| मै दिल में सोच रही थी की मै इस बार अंकल से किस तरह चुदाई करुँगी क्यूकि अब तो कोई मुश्किल ही नही थी| मै अपने कमरे में चली गई|| फ़िर शावर ले कर सो गई|साडी रात जागी थी मै|मैंने तो फॉर्म हाउस में अपनी जिंदगी की सबसे हसीन रात गुजारी है, शाम को सो कर उठी और भाभी के कमरे में गयी|| वो भी अभी सो कर उठी थी|शायद उन्होंने भी भैया के साथ फॉर्म हाउस में चुदाई की थी|| मेरे ख्याल से भैया ने पानी में ही भाभी को चोदा था| दोनों काफी देर तक पानी में चिपके हुए थे| || अभी भी चुदाई का मजा लिया था| वो थकी हुयी लग रही थी|
भैया शावर ले रहे थे| भाभी ने मुझसे कहा आशा तुम पिकनिक के बाद कितनी फ्रेश और खिली खिली लग रही हो? मै सिर्फ़ मुस्कुरा दी भाभी ने फॉर्म हाउस वाला बैग निकाला और सामान निकाल रही थी| इतने में भैया हमेशा की तरह बनियान और शोर्ट्स पहन कर हाथ में टोवेल लिए हुए आ गए| | उन्होंने मुझे देखा और पूंछा पिकनिक कैसी रही| मैंने कहा भैया बहुत मजा आया| मै भाभी का हाथ बँटा रही थी| इतने में भाभी ने चीख कर कहा|| ये क्या हुआ| मै भी चौंकी तो देखा की भैया के कंधे पर दाहिने तरफ़ नीला निशान पड़ा है| मैंने देखा तो मेरी भी चीख निकल गई| मै सोचने लगी कहीं रात को अंकल की जगह भाई तो नही थे|? भाई थोड़े घबडा गए| मैंने करीब जा कर देखा तो वहां दांतों के निशान थे और वो साफ़ नज़र आ रहे थे|| मुझे अच्छी तरह याद है मैंने अंकल के दाहिनी तरफ़ बुरी तरह काटा था जब उनका लंड मेरी चूत के परदे को फाड़ रहा था| भैया भाभी को तसल्ली दे रहे थे| की फार्म हाउस में चूँकि वो खिड़की के किनारे लेटे हुए थे इसलिए हो सकता है किसी कीडे ने रात में काट लिया हो| भाभी कह रही थी की मैंने कहा था न की हॉल के बीच में सो जाओ| अंकल को उस तरफ़ ठंडी लग रही थी इसलिए मै पापा के बाजू में लेट गया| क्यूकि अगर पापा को रात में कोई जरुरत हो तो मै वहीँ पास में हूँ| मै तो ये सुन कर पसीने पसीने हो गई|| हे भगवान् ये क्या हो गया| मै डर गयी|| फ़िर भाभी हलके से चिल्लाई|
वो चादर कहा है जिस पर रात में सोये थे? भैया ने कहा उस पर चाय गिर गई थी इसलिए उसे लौंड्री में दिया है कल मिल जायेगी| भाभी को ये चादर बहुत प्यारी थी| क्यूकि ये वोही चादर थी जिस पर भाभी ने भैया के साथ सुहागरात मनाई थी|| | मुझे काटो तो खून नही ऐसी हालत थी| मै थरथराने लगी| और अपने कमरे में चली गई| अब तो कोई शक की गुंजाइश नही थी की रात में अंकल नही भैया ने मुझे चोदा था| और मैंने उसी चादर में अपनी सील तुडवाई जिस पर भाभी की चूत की सील भैया ने तोडी थी| भैया ने सोचा की शायद रात में उनकी कोई कजिन होगी और उसी का खून होगा और किसी को शक न हो इसलिए चादर को धुलवाने के लिए भेज दिया|भाई को क्या मालूम की रात में उन्होंने अपनी ही छोटी बहन को रात भर चोदा और उसे कुंवारी से औरत बना दिया है| और उसी चादर पर जिस पर उन्होंने भाभी को लड़की से औरत बनाया था| मै अब कुछ नॉर्मल हुयी| | और तमाम बातों को सोचने लगी| रात के खाने पर चुप रही| रात को बेड पर लेटने के बाद मै सब कुछ सोचती रही|और भाई ने किस तरह मुझे चोदा था एक एक बात याद आ रही थी|आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | भाई के बारे में सोचते हुए मुझे उन यादों में एक नयापन लगा और मै सोचने लगी की भाई ने किस प्यार से मुझे चोदा था और सोच रहे होंगे की वो कौन थी|ये सोचते सोचते मै सो गयी||और सुबह बहुत देर से आँख खुली| मै कॉलेज भी नही गयी|और सारा दिन सोचती रही मम्मी और पापा सब ने पूंछा और शाम को अंकल भी आया हुआ था|उसने भी पूंछा |
मैंने कह दिया की मै ठीक हूँ| मैंने कहा मै थक चुकी हूँ|मै सोच रही थी की अंकल आप क्यों वहां से हट गए| अपना लंड लगा कर मेरी चूत को गरम किया|| अपने लंड को भी खड़ा किया मेरी चूत को लंड का स्वाद दिया और जब असली काम का वक्त आया तो ||कितने बदनसीब हो अंकल की ऐसा हसीं वक्त गँवा दिया|| एक कुंवारी लड़की की चूत शायद सभी मर्दों का सपना होता है| मै इसी फिकर में थी और भाई के चुदाई का तरीका कुछ ज्यादा ही याद आ रहा था| अब मै सोचने लगी की मै कोई अकेली लड़की नही हूँ जिसने अपने भाई से चुदवाया मैंने सुना है और इन्टरनेट पर भी हजारों लड़कियों ने कबूल किया है की उनकी चूत पहली बार उनके भाई से ही चूदी है| बहुत साडी लड़किया तो अपने भाई और पापा से चुदवाती है| ये सब सोच कर मुझे कुछ शान्ति मिली और एक नया एहसास जागा| मै भाई से चुदाई के लम्हों को याद करके खुश होने लगी… दो तीन दिन में मेरी हरकतें बहुत बदल गयी अब भैया की एक एक बात और एक एक चीज़ पहले से भी ज्यादा अच्छी लगने लगी| दिन गुज़रते रहे|और मै खुश होती रही की भाई ने मेरी चूत को चोदा| भैया जब सामने आते तो मुझे वो कंधे वाला निशान नज़र आता वो इतना गहरा था के अब भी मौजूद था|
मेरे बेड की चादर मैली हो गयी मैंने भाभी के पास चादर मांगी तो भाभी ने वोही चादर मुझे दे दी| मैंने अपने बेड पर वो चादर बिछा दी और मै खुश थी की ये वोही चादर है जिस पर मेरी और भाभी की जिंदगी की पहली चुदाई हुयी है|मै अपने कमरे में बैठी टीवी देख रही थी|की भैया आ गए|और मेरे बाथरूम में शावर लेने चले गए|जब भैया शावर ले रहे थे तो मै सोच रही थी की भैया नंगे हो कर कैसे लग रहे होंगे|और भाभी कितनी खुश नसीब है |की भैया जैसा सेहतमंद पति और जबरदस्त चुदाई करने वाला मर्द मिला है| बाथरूम से शावर | बाथरूम से शावर की आवाज़ सुनकर मेरे दिल में एक ख्याल आया और मै जल्दी से बाथरूम के रोशनदान के पास पहुँच गयी| जो की गेलरी में खुलता है|वहां स्टूल करीब लायी और अन्दर झाँका|देखा भैया नंगे नहा रहे थे|क्या मर्दाना जिस्म था| लेकिन वहां से भैया का वो लंड नज़र नही आ रहा था| जो उस रात मेरी चूत के अन्दर था| भैया के भरे भरे बाजू और चौडा सीना और उस पर घने काले बाल| दिल चाह रहा था की उनके सीने से लिपट जाऊं|
भैया ने शावर बंद किया और मै जल्दी से बेड पर आ गई| मेरा दिल बल्लियों उछल रहा था और मै सोच रही थी की काश भैया ख़ुद ही मेरे पास आ जाए| और अपनी प्यारी छोटी बहन को एक बार और जम के चोद डाले| लेकिन ये मुमकीन नही था|भइया सिर्फ़ शोर्ट्स पहन कर बिना बनियान के बाहर निकले||टॉवेल हाथ में था|वो अपने बदन को पोंचाते हुए कमरे में आ गए| मै बेड पर लेती हुयी थी| टीवी पर भैया का पसंदीदा प्रोग्राम चल रहा था| भैया मेरे बेड पर बैठ गए| और प्रोग्राम देखने लगे| मै भैया का गीला गीला जवान शरीर देख रही थी|जो मुझसे कुछ इंच के फासले पर था|| ये वोही सेक्सी बदन था जो मुझे अपने सीने से चिपकाये हुए था| मेरी नंगी जवानी को सहला रहा था वो ही जिस्म मेरे सामने था और सिर्फ़ शोर्ट्स में लेकिन मै इस बदन की होकर भी उस से लिपटना तो दूर उसे हाथ भी नही लगा सकती थी| भैया टीवी प्रोग्राम देख रहे थे और मै भैया के कंधे पर| वहीँ मेरे दांतों के निशान थे| मेरे ख्यालों में भैया मेरे ऊपर नंगे लेटे हुए और उनका वो फौलादी लंड मेरी चूत को चीर कर अन्दर जाता हुआ दृश्य याद आ रहता|| मै दिल ही दिल में खुश थी की भाई के कन्धों पर मेरे दांतों के निशान मौजूद थे| मै अन्दर से पिघल रही थी|
मेरी चूत गीली हो रही थी और बहुत दिल चाह रहा था की भाई मुझे सीने से लगा ले | मैंने कहा “भाई ये कीडे का निशान तो बहुत ही गहरा है| आप कोई मलम नही लगा रहे इस पर? भाई ने कहा की ये ख़ुद ठीक हो जाएगा| मैंने फ़िर कहा की आप भाभी से कहिये के कम से कम इसे हाथों से सहलाये ताकि ये जल्द ठीक हो जाए| भाई ने कहा ठीक है आज तो तुम्हारी भाभी मायके गई है| आने के बाद कहूँगा| | मै बहुत ही गरम हो रही थी| और दिल भी तेज़ी से धड़क रहा था| मै बेड पर से उठी और ख़ुद ही कहा की लाईये मै इसे सहला देती हूँ| मै भाई के पीछे बैठ गई और सहलाना शुरू किया| भाई टीवी देख रहे थे|मैंने हलके हलके अपने दांतों के निशान को सहलाना शुरू किया| अब वो रात फ़िर मेरे सामने आ गई| जब भाई का लंड मेरी चूत के अन्दर था और मै दर्द की वजह से उनके कंधे पर जोर से काटा था… भैया का बदन नहाने के बाद भी गरम था| और मुझे उनके कंधे को सहलाना बहुत अच्छा लग रहा था| अचानक मैंने सहलाते हुए उस निशान पर अपनी जीभ रख दी| भाई ने एकदम कहा अरे ये क्या कर रही हो? मैंने कुछ जवाब नही दिया |और धड़कते दिल के साथ मैंने उनकी कमर पर तीन बार AA लिख दिया|भइया एकदम चौंके और टीवी से उनका ध्यान हट गया … और अब आगे की कहानी जल्दी ही लिखुगी …