बहन को झाड़ियों में जबरदस्ती चोदा
हमारा समर वॅकेशन चल रहा था, छुट्टी के शुरु होते ही हम सब दोस्तों ने जंगल में पिकनिक का प्लान बनाया।
जिस दिन हम निकलने वाले थे, ठीक उसी दिन मेरे मामा की लड़की स्वीटी हमारे घर आ गयी। जैसे ही उसे पता चला कि मैं पिकनिक जाने वाला हूँ, वो भी साथ चलने की जिद करने लगी। मैंने बहुत मना किया, कहा- मेरे साथ सभी लड़के हैं, कोई लड़की नहीं है.
पर वो नहीं मानी।
ऊपर से मम्मी पप्पा ने भी उसी का साथ दिया तो मजबूरन मुझे उसे अपने साथ ले जाने के लिये हामी भरनी पड़ी।
लड़की हो चाहे औरत हो, बाहर जाते वक्त तैयारी करने में कितना समय लेती हैं ये तो आप सब जानते ही हो।
स्वीटी ने भी वही किया, तैयार होने में इतना समय लगाया कि जिस ट्रेन से हम लोग जाने वाले थे, वो ट्रेन छुट जाने वाली थी।
तो मैंने अपने दोस्तों को उसी ट्रेन से जाने के लिये कहा कि हम दोनों बाद में अगली ट्रेन से आ जायेंगे.
मेरे कहने पर वो लोग उसी ट्रेन से निकल गये।
दूसरी गाड़ी काफी समय बाद थी, मैंने और स्वीटी ने दूसरी गाड़ी पकड़ ली पर हुआ ये कि जो ट्रेन हमें मिली, वो रात को मंजिल पर पहुँची।
मेरे बाकी दोस्तों का ग्रुप जो आगे निकल चुका था, वो गहरे जंगल में पहुँच गया था जिसकी वजह से उनसे फोन पर सम्पर्क नहीं हो पा रहा था।
अब हम दोनों भाई बहन को या तो स्टेशन पर सुबह तक रुकना पड़ता या रातों रात उन्हें खोजना पड़ता।
हमने जंगल में जाने का फैसला कर लिया। काफी देर तक हम उन्हें खोजते रहे पर वे लोग नहीं मिले। आखिरकार थक हार कर हमने रात भर जहां थे, वहीं विश्राम करने का फैसला कर लिया।
मैंने जंगल में से कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी करके आग सुलगा ली, कुछ खाना हम साथ लाये थे, उसी आग पर हम लोगों ने खाना गर्म किया और खाया.
जब खाना-वाना हो गया तो हम लोग आग के पास बैठ गपशप करने लगे।
कुछ देर बात करने के बाद स्वीटी को पेशाब का प्रेशर बना, जिसके चलते उसने अपनी सलवार उतार दी। उसका कुर्ता कमर तक दोनों तरफ से कटा हुआ था, जिसके चलते उसकी पैंटी उन कट से दिख रही थी। ऐसा लग रहा था मानो मेरे सामने कोई कॅबरे डान्सर खड़ी हो, और कैबरे डांसर की तो फिर भी पैंटी नहीं दिखती है, मुझे तो मेरी बहन की नंगी टाँगे और पैंटी दिख रही थी.
“कैसे कपड़े पहन रखे हैं तुमने स्वीटी? और ऊपर से ये सलवार भी उतार दी? शरम भी नहीं आ रही तुझे? नाराज होकर मैंने कहा।
“अरे भाई, तेरे सामने क्या शरमाना? तू और मैं बचपन से बिना कपड़ों के साथ रहे हुए हैं.” उसने बेशर्मी से मेरी बात का जवाब दिया।
“लेकिन अब हम छोटे बच्चे नहीं रहे!” मैंने टोका।
“तो क्या हुआ?” मेरी बहन ने लापरवाही से जवाब दिया.
“तो फिर ये बाकी कपड़े भी उतार दे ना, इन्हें ही क्यों पहन रखा है?”
“हाय भाई… तुम कहो तो मैं इन्हें भी उतार दूँ।” हंसती हुई वो बोली और झाड़ियों के पीछे पेशाब करने के लिये बैठ गयी।
जब वो वापस आयी तो मैंने उसे स्लिपिंग बॅग देते हुये कहा- यार स्वीटी, हमारे पास एक ही स्लीपिंग बैग है, हमें बारी बारी सोना और जागना पड़ेगा।
“तुम सो जाओ, मैं थोड़ी देर जागती हूँ.” कह कर वो आग के पास बैठ गयी।
उससे बहस करने का कोई मतलब नहीं था, मैं बॅग लेकर उसमें सो गया।
मुश्किल से बीस मिनट ही गुजरे होंगे कि वो मेरे पास आयी और कहने लगी- मुझे भी सोना है।
मैं हंसा और कहा- ठीक है, तू सो जा, मैं जागता हूँ।
“नहीं, क्या जरूरत है तुझे जागने की? हम दोनों एक साथ सो जाते हैं इस बैग में।”
“लेकिन इसमें जगह नहीं होगी हम दोनों के लिये।”
“हो जायेगी!” कहते हुये वो जबरदस्ती मेरे अंदर रहते स्लिपिंग बैग में घुसने की कोशिश करने लगी।
जैसे तैसे वो अंदर तो घुस गयी, पर जबरस्ती कम जगह में अंदर नीचे की तरफ खिसकते हुये उसका कुर्ता गले तक ऊपर खिसक गया।
bahan ko jhadiyo me jabardasti choda
“उफ ये कुर्ता भी ना…” गले में जमा हुये कुर्ते से परेशान होती हुयी वो बोली।
“मैंने कहा था तुझे?” मैंने हंसते हुये कहा।
“पता है!” कहते हुये उसने कुर्ता उतार दिया।
“पागल हो तुम!” मैंने कहा।
“पागल मैं नहीं तुम हो, एक लड़की जिसके कपड़े गलती से उतर गये हों, उस पर हंसते नहीं।”
तो क्या करते हैं? मैंने मजाक उड़ाते हुये पूछा।
“ये करते हैं!” कह कर उसने अपने हाथों से मेरी टी शर्ट उतार दी।
“नीचे थ्री फोर्थ भी है!” मैंने फिर उसका मजाक उड़ाया।
“हां तो उतार दो ना!” कहते हुये उसने खुद से मेरी थ्री फोर्थ उतार दी।
अब हम दोनों भी सिर्फ इनरवीयर में थे। हमारे अधनंगे बदन एक दूसरे से तंग जगह की वजह से काफी हद तक चिपके हुये थे। दोनों का मुख एक दूसरे की तरफ था। इसी अवस्था में हम लोग यहां वहां की बातें करने लगे। “तुम लड़कों की ना यही प्राब्लम होती है।”
“क्या हुआ?”
“लड़की को देखते ही मन में गंदे खयाल आने लगते हैं।”
“क्या मतलब?”
“तुम्हारे जज्बात मेरी जांघों से टकरा रहे हैं, ये बात है।”
“होता है.” मैंने हल्के से हंसते हुये कहा।
“क्या होता है? कम से कम ये तो ध्यान रहना चाहिये ना के, जिसके लिये बुरे खयाल आ रहे हैं, वो अपनी रिश्तेदार है।”
“अब उसे क्या पता कि तुम रिश्तेदार हो, उसके लिये तो सब एक समान।”
“गंदे कहीं के!”
“अच्छा मैं गंदा और तुम क्या?”
“मैंने क्या किया?”
“तू भी अंदर से उतावली हो गयी है।”
“नहीं, हम लड़कियाँ तुम लड़कों जैसी नहीं होती।”
“हम लड़कों के जज्बात बाहर नजर आते हैं, क्योंकि हमारा तन जाता है। तुम लड़कियाँ गीली होती हो, पर बाहर नजर नहीं आता।”
“ऐसा कुछ नहीं होता।”
“नहीं होता तो तुम गीली क्यों हो गयी हो?
“हट, कुछ भी बोल रहे हो, कुछ गीली वीली नहीं हुयी हूँ मै!”
“तेरा गीलापन मेरे जांघों को महसूस हो रहा है।”
“चुप करो, कुछ भी बोलते हो!” कह कर उसने हंसते हुये मेरे मुँह पर हाथ रख दिया।
मैंने उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा, और आहिस्ते से बड़े प्यार से उस हाथ को चूमा।
“कुछ ऐसी वैसी हरकत मत करो भाई।”
“क्यों क्या हुआ बहना?”
“मैं कुंवारी हूँ।”
“मैं कहां शादीशुदा हूँ?”
“हाँ, तो जिसके साथ शादी करोगे उसके साथ ये सब कर लेना।”
“तेरे साथ करुंगा।”
“तुझे पता है, हमारी शादी नहीं हो सकती। हम आपस में भाई बहन लगते हैं.”
“फिर इस अगन को ठण्डा कैसे किया जाये?”
“जा के मुठ मार के आ जाओ!” वो जोर से हंसते हुये बोली।
“तुम मार दो ना अपने हाथों से?”
“मुझे क्या जरूरत पड़ी हैं?
“मैं भी मदद करुंगा ना तुम्हारी।”
“तुम मेरी क्या मदद करोगे?”
“मैं तुम्हारी आग को अपने हाथ से ठण्डा कर दूँगा।”
“मुझे जरूरत नहीं हैं किसी के हाथ की।”
“अच्छा मुझे तो जरूरत है!” कहते हुये मैंने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
“छोड़ो, छी… मुझे नहीं करना है!” कहते हुए वो लड़कियों वाले नखरे दिखाने लगी।
मैंने जबरदस्ती अंडरवीयर नीचे कर के अपना लंड उसके हाथ में थमाया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने ऐसा होने नहीं दिया। अपने हाथ से उसके हाथ की मुट्ठी बना कर मैं लंड को आगे पीछे करने लगा।
“मुझे नहीं लगा था कि तुम मेरे भाई होकर इस तरह जबरदस्ती करोगे।”
“तुम खुद से करोगी तो मुझे जबरदस्ती करने की क्या पड़ेगी।”
“हाथ निकालो, प्यार का काम प्यार से किया जाता हैं, जबरदस्ती से नहीं।”
मुझे लगा वो मेरी मुठ मारने के लिए मान गयी, मैंने अपना हाथ हटा दिया लेकिन मेरा हाथ निकलते ही…
“सोओ अब अकेले ही!” कह कर वो स्लीपिंग बैग से बाहर निकलने लगी।
मैंने फुर्ती से उसकी पैन्टी पकड़ ली, पर फिर भी वो बाहर निकल गयी लेकिन उसकी पैंटी सरक कर उसकी टांगों से निकलती चली गई, वो बैग से बाहर निकल गई लेकिन उसकी पैंटी मेरे हाथ में थी.
अब मेरी बहन सिर्फ ब्रा पहने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत छुपाये खड़ी थी।
“आ जाओ अंदर!” मैंने कहा।
“नहीं, मैं बाहर ही सोऊँगी।”
“ऐसी अधनंगी?”
“हां, तो? यहां कौन देख रहा है?”
“अब जब अधनंगी को कोई नहीं देखेगा तो पूरी नंगी को कौन देखेगा?” कहते हुये मैं उठ कर खडा हुआ और जबरदस्ती उसकी ब्रा भी उतार दी।
“मैंने तुमसे ज्यादा गंदा लड़का नहीं देखा।”
“मैंने भी तुझसे ज्यादा नखरेल लड़की नहीं देखी।”
हम एक दूसरे को चिढ़ा ही रहे थे कि तभी जोर से सरसराहट हुयी। वो डर गयी, बोली- कैसी आवाज है ये?
“तुझे नंगी देख कर कोई जंगली जानवर जोश में आ गया होगा। अब वो तुझे नहीं छोड़ेगा!”
“मजाक मत करो, सच में कुछ है।” कहते हुये वो मेरे पास आ गई।
“कोई जंगली जानवर होगा जो शिकार के लिये आया होहां, तुम चुपचाप बिना आवाज किये सो जाओ तो वो चला जायेगा।”
जंगली जानवर के डर से वो चुपचाप बैग के अंदर आकर लेट गयी।
“तुम्हारे उसका कुछ करो ना, बार बार जांघों में टच कर रहा है।”
“तुम्हारी वजह से ही हो रहा है।”
“मैंने क्या कहा है उसे?”
“तुम्हारे नशीले नंगे बदन ने कहा है!” कहते हुये मैं अपनी ममेरी बहन के नंगे बदन से लिपट गया।
“तुम फिर गंदी हरकत करने लगे?”
लेकिन इस बार वो ना पीछे हटी, ना इन्कार किया।
मैंने अपनी अंडरवियर निकाल कर बाहर फेंक दिया और उसकी जांघों में अपनी जांघें घुसा दी। फिर एक हाथ से उसके गालों को सहलाते हुये उसे किस करने लगा।
वो भी अब मेरा साथ देती हुयी अपनी जांघों को मेरी जांघों पर रगड़ने लगी, अपने एक हाथ से वो मेरी पीठ को सहलाने लगी।
काफी देर तक हम दोनों भाई बहन एक दूसरे के नंगे बदन से खेलते रहे।
“बस अब खत्म कर दो!” कहते हुये उसने मेरे लंड पर अपनी चूत चिपका दी।
मैंने भी बिना वक्त गंवाये उसकी चूत में लंड घुसेड़ कर उसे चोदना शुरु किया। जितने नखरे वो पहले कर रही थी अब उससे कहीं ज्यादा मजे से मेरी बहन अपनी चूत चुदवा रही
लेकिन चूँकि बदन सटे हुये थे, कुछ ही पलों में मेरा लंड तन कर उसकी जांघों पर ठोकरें मारने लगा।
“लड़की को देखते ही मन में गंदे खयाल आने लगते हैं।”